आचार्य श्रीराम शर्मा >> आकृति देखकर मनुष्य की पहिचान आकृति देखकर मनुष्य की पहिचानश्रीराम शर्मा आचार्य
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लोगो की आकृति देखकर उनका स्वभाव पहचानना मनोरंजक तो होता ही है, परंतु इससे अधिक यह अनुभव आपको अन्य लोगों से सही व्यवहार करने में काम आता है।
भौंहें
सिर के बालों की भाँति भौंहों के बाल भी मानव स्वभाव की बड़ी खरी कहानी कह देते हैं। आकृति विद्या के अभ्यासियों को भौंहों की परीक्षा करते समय निम्र बातों पर विचार करना चाहिए। (१) गोलाई (२) लम्बाई (३) मोटाई (४) बालों की बनावट (५) आदि स्थान (६) अन्त स्थान। आगे इन सब बातों पर संक्षेपत: प्रकाश डाला जायगा।
ध्यानपूर्वक देखिए कि भौं का आरम्भ किस प्रकार होता है। यदि दोनों भवें आपस में मिली हुई हों, दोनों का आरम्भ बिल्कुल सटकर होता हो तो ऐसे व्यक्ति से सावधान रहने की आवश्यकता है। पुराने जमाने के सामुद्रिक शास्त्री कहा करते थे कि ऐसे व्यक्ति का कभी विश्वास नहीं करना चाहिए, पर आपको इतना आगे जाने की आवश्यकता नहीं है। सटी भौंहों को देखकर इतना समझना ही पर्याप्त है कि इस व्यक्ति के दिल व दिमाग साफ नहीं हैं। ढिलमिल यकीन, संशयात्मक प्रकृति, चरित्र की कमजोरी तथा अन्य वुटियाँ ऐसे व्यक्तियों में देखी जाती है। वचन पलट देने तथा कर्तव्य की अवहेलना कर देने के दोष से भी वे मुक्त नहीं होते। ऐसे लोगों के बारे में यह ध्यान रखने की आवश्यकता है कि उनके साथ सावधानी से व्यवहार किया जाय जिन भौंहों का आरम्भ एक दूसरे से हटकर होता है वे सिधाई, सरलता तथा प्रामाणिकता प्रकट करती हैं।
कवियों ने भौंहों की सुन्दरता का वर्णन करते हुए उनकी उपमा तलवार से दी है। दूसरे शब्दों में यों कहा जा सकता है कि तलवार की बनावट की भौंहें प्रशंसा के योग्य समझी गई हैं। कमान या तलवार की तरह घूमी हुई, बाँकी-तिरछी और पतली भौंहें प्रेमी स्वभाव, सरल प्रकृति, मधुरता तथा कला प्रियता की निशानी है। परन्तु आँख और भौंहों के बीच में अधिक अन्तर न होना चाहिए, यदि अन्तर ज्यादा होगा तो चरित्र की शिथिलता और मानसिक दुर्बलता का कारण होगा। ऐसे लोग अल्प बुद्धि और व्यवहार में अकुशल होते हैं। यदि भौंहें लकीर की तरह सीधी और बहुत नीची आँखों के बिल्कुल पास हों तो कठोरता, मजबूती तथा स्वाभिमान का कारण होती हैं।
कुछ व्यक्तियों की भौंहें गोलाई लिए हुए प्रारम्भ होती हैं पर बीच में अधिक झुकाव लेकर एकदम आँख की बगल से नीचे तक आ जाती हैं। ऐसे व्यक्ति साफ-सुथरे खूब रहते हैं, चमक-दमक और फैशन उन्हें पसन्द होती है पर मानसिक बल की उनमें कमी ही रहती है। जो भौंहें प्रारम्भ में तो सीधी लकीर तरह चलती हैं पर अन्त में एक दम नीचे को झुक जाती हैं वे कला प्रियता प्रकट करती हैं। विचारवान् विवेकी, दूरदर्शी, ज्ञानवान् व्यक्तियों की भौंहें मोटी होती हैं। अधूरी, छिरछिरी और अस्तव्यस्त भौंहों वाले कंजूस, लोभी तथा सूम देखे जाते हैं।
टेढ़ी-मेढ़ी, मोटी, गुच्छेदार भौं वाले मनुष्य चिड़चिड़े, अस्वच्छ, लापरवाह, किन्तु चतुर, बुद्धिमान और शासन करने वाले होते हैं। धनी और मोटी भौंहें मजबूती, बुद्धिमत्ता, दृढ़ता का प्रतिनिधित्व करती हैं किन्तु यदि वे पतली, कमजोर और थोड़े बालों वाली हों तो शारीरिक और मानसिक निर्बलता की कथा कहती हैं। बहुत छोटी भवों वाले जल्दबाज, चपल, बहुत बेालने वाले तथा कर्कश स्वभाव के देखे जाते हैं।
सिर के बालों की अपेक्षा यदि भवों का रंग हलका हो तो यह दुर्बलता एवं शक्ति हीनता की निशानी हैं किन्तु यदि उनका रंग सिर के बालों की अपेक्षा गहरा हो तो समझना चाहिए कि बल की बढ़ोत्तरी हो रही है। जिनकी भौंहें छोटे-छोटे बालों की होती हैं उनमें बहुत शीघ्र गहराई तक पहुँच कर वास्तविकता को समझने की योग्यता होती है किन्तु जिनके बाल अपेक्षाकृत अधिक लम्बे होते हैं, उनमें देर से समझ आती है ऐसे व्यक्तियों को ठोकरें खा-खाकर जीवन में बहुत से कडुए अनुभव इकट्ठे करने पड़ते हैं।
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- आकृति विज्ञान का यही आधार है
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